एक बुजुर्ग | ghar ghar ki kahani | घर घर की कहानी:
ये कहानी एक बुजुर्ग व्यक्ति की है, जो एक गाँव में अपनी हवेली में अकेले रहते थे। इनके पास संपत्ति की कोई कमी नहीं थी। चिंता थी, तो बस अकेलेपन की, क्योंकि इनका सारा परिवार इनसे दूर हो चुका था। बुजुर्ग के तीन बेटे थे। जो शादीशुदा थे। अक्सर बुजुर्ग अपने बेटों से मिलने के लिए तरसते रहते थे। लेकिन उनका एक भी बेटा, उनसे मिलने नहीं आता। एक बार बुजुर्ग की तबीयत बिगड़ जाती है और गाँव वाले उन्हें अस्पताल लेकर आते हैं। वहाँ उनका इलाज होता है और उनके बेटों को ख़बर पहुँचाई जाती है। लेकिन सभी कोई न कोई बहाना बनाकर आने से मना कर देते हैं। बुजुर्ग आदमी को आख़िरी वक़्त अपने बच्चों से मिलने की तीव्र इच्छा होती है। लेकिन वह अपने बच्चों की ज़िद के सामने मजबूर होते हैं। अस्पताल से घर पहुँचने के बाद उन्हें एहसास होता है, कि अब वह ज़्यादा दिन तक जीवित नहीं रहेंगे, इसलिए उन्हें अपनी संपत्ति अपने बच्चों के नाम करनी होगी। बुजुर्ग ये बात समझ चुके थे, कि उनके बेटे काग़ज़ी कार्यवाही के लिए समय नहीं निकाल पाएंगे। इसलिए उन्होंने अपनी सारी संपत्ति बेच कर, हीरे ख़रीद लिए और अपने बच्चों को यह बात बतायी। तीनों बेटे हीरे की बात सुनते ही गाँव जाने को तैयार हो गए। उन्हें लगा कही उनके पिता वह हीरे किसी को दान में न दे दे। तीनों भाई आनन फ़ानन में अपने परिवार के साथ पिता जी से मिलने जाते हैं। जैसे ही उनके बेटे बुजुर्ग के सामने आते हैं। उनकी आँखों से आँसू निकल आते हैं। वह अपने बेटों को गले से लगाने के लिए हाथ फैला देते हैं। लेकिन बेटे आते ही साथ पूछते हैं। “हीरे कहाँ है। पिता अपने बेटों की इस बात से बेहद दुखी होते हैं।
उन्हें एहसास हो जाता है, कि मेरे बेटे केवल संपत्ति के लिए आए हैं। मुझसे मिलने के लिए नहीं तभी बुजुर्ग, अपने कमरे से हीरों की पोटली लाने को कहते हैं। उनका सबसे छोटा बेटा दौड़ता हुआ कमरे में जाता है और वह पोटली उठा के ले आता है। सभी की आंखें हीरे देखने के लिए बेसब्र रहती है। तभी बुजुर्ग व्यक्ति पोटली खोलते हैं और जैसे ही पोटली को उल्टा करके उसमें से हीरे निकालते हैं, तो उस पोटली से केवल पत्थर के टुकड़े ही गिरते हैं। बुजुर्ग व्यक्ति पोटली से पत्थर गिरते देख चिंतित हो जाते हैं और पागलों की तरह ज़ोर ज़ोर से पूछने लगते हैं। “हीरे कहाँ गए”। बुजुर्ग के तीनों बेटे सारे घर में हीरे ढूंढने लगते हैं। लेकिन उन्हें हीरे कहीं नहीं दिखाई देते। बुजुर्ग व्यक्ति अपने जीवन भर की कमाई ऐसे जाने नहीं दे सकते थे, इसलिए उन्होने गाँव के कुछ लोगों को बुलवाया और उनसे सलाह लेने लगे। गाँव के लोगों में से एक व्यक्ति, बुजुर्ग से कहता है। “हीरे ढूँढना तो बहुत आसान बात है। आप इतना परेशान क्यों हो”। यह सुनते ही सबकी नज़रें उस व्यक्ति की तरफ़ हो जाती है। बुजुर्ग व्यक्ति आशा भरी निगाहों से उससे पूछता है। “बताओ कहाँ होंगे मेरे हीरे”। वह व्यक्ति एक नाई था। उसने कहा “मेरे पास एक ऐसा तेल रखा हुआ है, जिसे आँखों में लगाने से व्यक्ति सच बोल देगा और यदि वह झूठ बोला तो वह दर्द से तड़पने लगेगा और हो सकता है वह, अंधा भी हो जाए। किसी को नाई की बात का यक़ीन ही नहीं हुआ। तभी बुजुर्ग व्यक्ति ने कहा। “क्या ऐसा तेल होता है”। तभी नाई ने जोश भरते हुए कहा। “हाँ बाबूजी, मेरे पास ऐसा तेल है, कि अभी पता चल जाएगा। आपके हीरे किसने लिए हैं”|
नाई जल्दी से जाकर कांच की बहुत सुंदर बोतल ले आया। जिसमें नीले कलर का पदार्थ मौजूद था। तेल की बोतल देखते ही बुजुर्ग का बड़ा बेटा कहता है। “भला हम तुम्हारी बात का यक़ीन कैसे करें, कि झूठ बोलने वाला ही अंधा होगा। तभी नाई सभी के बीच में से उस इंसान को बुलाता है। जिसने पहले भी एक बार गाँव में चोरी की थी और अपनी गलती भी नहीं मानी थी, फिर भी लोगों ने उसे माफ़ कर दिया था और उसकी आँखों में तेल लगाकर उससे पूछता है। “कुछ बरसों पहले गाँव में जो चोरी हुई थी। वह तुमने ही की थी न” ? वह व्यक्ति जैसे ही मना करता है। वैसे ही ज़मीन पर तड़पने लगता है और ज़ोर ज़ोर से अपनी आँखों को मसलने लगता है। तभी नाई दोबारा तेल में पानी मिलाकर वापस उसकी आँखों में लगाता है और वह शांत हो जाता है वहाँ खड़े हुए सभी लोग, यह देखकर हैरान रह जाते हैं। तभी बुजुर्ग घर में मौजूद सभी लोगों की आँखों में तेल लगाने को कहते हैं। ताकि हीरों की चोरी का पता लगाया जा सके। लेकिन अचानक बुजुर्ग का छोटा बेटा उसके पैरों में पड़कर होने लगता है और कहता है। “बाबूजी मुझे माफ़ कर दीजिए। हीरों की चोरी मैं मैंने ही की है। मैं सबसे पहले ही घर में आ गया था और आते ही आपके कमरे में प्रवेश किया और वहाँ मुझे वह पोटली नज़र आयी। मैंने उसमें से हीरे निकाल कर रख लिए और पत्थर के टुकड़े वापस पोटली मैं ही डाल दिए। बुजुर्ग व्यक्ति को अपने बेटे की बात सुनकर बहुत दुख हुआ और उन्होंने नाई को धन्यवाद देते हुए कहा। “आप तो भगवान है जो इतना बड़ा चमत्कार पल भर मैं कर दिए”।
तभी नाई मुस्कुराते हुए कहता है। “जी नहीं बाबूजी, मैं तो एक साधारण इंसान हूँ और मेरा यह तेल भी है। सामान्य तेल है। जिसमें मैंने नीला रंग मिलाया हुआ है। यह कोई चमत्कारी तेल नहीं और वह व्यक्ति यह तारकीब जनता था। जिसे मैंने पहले से ही कह दिया था। मेरे प्रश्न पूछने के बाद विचित्र क्रियाएँ करने लगना। सभी नाई की बात सुनकर उसकी बुद्धि की बहुत तारीफ़ करते हैं। बुजुर्ग व्यक्ति को समझ में आ जाता है, कि नाई ने अपराधी का पता लगाने के लिए यह खेल खेला और बुजुर्ग उस पोटली से कुछ हीरे नाई को दे देता है और बचे हुए हीरे अपने बच्चों को सौंप कर हमेशा के लिए अलविदा कर देता है।