बच्चा चोर | bachha chor | motivational kahani in hindi:
ये कहानी एक ऐसी घटना पर आधारित है, जो आए दिन समाज में लोगों की लापरवाही से घटती रहती है। एक शहर में बच्चा चोर की बहुत अफ़वाह फैली थी। शहर के निवासी बात को हल्के में ले रहे थे। लेकिन कुछ दिनों के अंदर ही शहर से दो बच्चे ग़ायब हो जाते हैं बच्चों के ग़ायब होते ही, गाँव में दहशत का माहौल छा जाता है। सभी अपने अपने बच्चों को घर से बाहर न निकलने की हिदायत दे देते हैं और प्रशासन को ख़बर दी जाती है, लेकिन मामला सिर्फ़ एक शहर का होता है इसलिए इसे निचले स्तर तक हल करने का प्रयास किया जाता है। दो तीन दिन गुज़रते ही दूसरे शहरों से सात बच्चे ग़ायब होने की ख़बर आती है। अब यह मामला बहुत ही गंभीर बन चुका था। कई शहरों में यह दहशत फैल चुकी थी। लोगों ने अपने बच्चों को बाहर खेलने जाने तक से रोक लगा दी थी। अब इस मामले को गंभीरता से देखते हुए एक जासूसी टीम को यह कार्य सौंपा जाता है। जासूसी टीम में एक अधिकारी और दो युवा सहकर्मी होते हैं। जिनमें एक लड़का और एक लड़की होते हैं। टीम मामले को बारीकी से समझने का प्रयास करती है और उन्हें एक विचार आता है, क्यों न किसी बच्चे को प्रशिक्षित करके बच्चा चोर गिरोह के सामने चारा बनाके रखा जाए और जब वह लोग उसे उठाने आए तो, उन्हें गिरफ़्तार कर लिया जाए। लेकिन यह काम जोखिमों से भरा था। जिसमें एक मासूम बच्चे की जान को ख़तरा भी हो सकता था। इस वजह से इस काम के लिए आधिकारिक सहमति नहीं दी जा सकती। जासूसी टीम को दायरों के बाहर रह करके भी कुछ काम करने पड़ते हैं, इसलिए उन्होंने यह काम गुप्त तरीक़े से करने का इरादा बनाया और जिस शहर में ज़्यादा घटनाएँ हो रही थी। उस शहर के एक बच्चे को ढूंढने निकल गए। काफ़ी देर तक टीम पूरे शहर में घूमती रही लेकिन उन्हें कोई ऐसा बच्चा नहीं मिला, जिसके माता पिता यह कार्य करने के लिए तैयार हो। स्वाभाविक बात है। कोई भी इंसान अपने बच्चे को ऐसे जोखिम में जाने नहीं देगा। लेकिन तभी टीम को एक बच्चा नज़र आता है, जो रेल की पटरी के किनारे होता है। उसकी हालत बहुत ही दयनीय दिखाई दे रही थी।
जैसे ही सारी टीम उसके पास पहुँची वह बच्चा खड़े होकर पूछता है, “अंकल आप लोग कौन हैं”, जासूसी टीम एक दूसरे को देख कर मुस्कुराती है। उन्हें लगता है, चलो इस शहर में एक तो हिम्मतवाला बच्चा है, जो हमसे इस तरीक़े से सवाल पूछ रहा है और वह बच्चे को कहते हैं “बेटा क्या तुम्हे बहुत से खिलौने चाहिए”? बच्चा ख़ुश हो जाता है और बोलता है “जी हाँ, क्यों नहीं, लाइए दीजिए” लेकिन तभी जासूसी टीम में शामिल लड़की कहती है, “बेटा खिलौने तो यहाँ नहीं है, तुम्हें हमारे साथ चलना होगा और वहीं जाकर तुम अपने मन के खिलौने पसंद कर लेना”। लेकिन तभी बच्चा पलटकर जवाब देते हुए कहता है, “नहीं आप लोगों ने यदि मुझे भी पकड़ लिया तो वैसे भी शहर से बहुत से बच्चे चोरी हो रहे हैं” तभी जासूस अधिकारी आश्चर्य भरी निगाहों से उस बच्चे को देखता है और सोचता है, कि भला इस बच्चे को इतनी जानकारी कैसे हैं और वह मन ही मन ख़ुश होता है, कि चलो कम से कम यह बच्चा समझदार है और इनका काम बन सकता है और लड़की मुस्कराते हुए कहती है, “अरे नहीं बेटा, हम तो उसी बच्चा चोर को पकड़ने जा रहे हैं और इस काम के लिए हमें किसी बहादुर बच्चे की मदद चाहिए”। तभी वह लड़का पलटकर कहता है, “मुझसे बहादुर तो यहाँ कोई भी बच्चा नहीं मिलेगा आपको, मैं आपकी मदद कर सकता हूँ”। बच्चे की इतनी बहादुरी वाली बात सुनकर जासूसी टीम के हौसले बढ़ जाते हैं और वह बच्चे को लेकर अपने अनुसंधान केंद्र पहुँचते हैं। अंदर आते ही बच्चा चारों तरफ़ ताज्जुब के साथ देखता है और पूछता है, “इतनी बड़ी बड़ी मशीनें और यह कंप्यूटर आप लोगों ने क्यों लगा रखे हैं” ? जासूसी टीम के अधिकारी बच्चे से कहते हैं, “बेटा, अंदर चलो तुम्हें सब पता चल जाएगा”। अंदर पहुँचते ही वह बच्चे को कंप्यूटर में एनिमेशन के ज़रिए सारी योजना को समझाने का प्रयास करते हैं। बच्चा बहुत होशियार होता है और वह जल्दी से सभी बातों को समझ जाता है। दरअसल उसे बच्चा चोर गिरोह के जगह का पता लगाना है। लेकिन उसके लिए उसे ऐसी जगह घूमना होगा, जहाँ से वह बच्चा चोर उसे उठाकर ले जाए और इस दौरान बच्चे के कपड़ों में GPS ट्रैकर लगा होगा और वह जहाँ जहाँ बच्चे को लेकर जाएँगे, जासूसी टीम को सारी सूचना पता चलती जाएगी और योजना के अनुसार बच्चे को उसी जगह पर ले जाकर खड़ा किया जाता है, जहाँ से पिछले ही हफ़्ते दो बच्चे ग़ायब हुए थे। बच्चा काफ़ी देर तक सड़क में टहलता रहता है और थक करके वही सड़क के किनारे बैठ जाता है। वही थोड़ी ही दूर जासूसी टीम भी उस बच्चे के ऊपर नज़र रखे हुए थी।
सुबह से शाम हो जाती है, लेकिन उस बच्चे के पास कोई नहीं आता और जासूसी टीम निराश होकर के अपना सेटअप बंद कर देती है और धीरे से गाड़ी बच्चे के पास ले जाने लगती है, लेकिन जैसे वो लोग बच्चे के पास पहुँचते हैं। बच्चा वहाँ नहीं होता। सारी टीम चिंता में आ जाती है। तभी जासूसी टीम के अधिकारी टीम के बाक़ी सदस्यों को आदेश देते हैं। जल्दी से वापस अपना सेटअप स्टार्ट करो और GPS से उसकी लोकेशन ट्रैकर पर देखो। वह बच्चे को अभी ज़्यादा दूर तक नहीं ले गए होंगे। लेकिन जैसे ही वह GPS ट्रैक करने के लिए लैपटॉप खोलते हैं। उनकी चिंता और बढ़ जाती है, क्योंकि ट्रैकिंग ख़त्म हो चुकी थी और अब उन्हें भी नहीं पता था, कि वह बच्चा कहाँ है और यहाँ दूसरी तरफ़ वह बच्चा गाड़ी की डिक्की में होता है। उसकी आँख में पट्टी बँधी होती है। दरअसल जैसे ही जासूसी टीम अपना सेटअप बंद कर रही थी। उसी समय बच्चा उनकी रेंज से थोड़ा दूर आ चुका था और उसी समय बच्चा चोर गिरोह वही से गुज़रा था और अकेले घूमते हुए बच्चे को अपने साथ ले गया। बच्चे को ले जाकर एक अंधेरे कमरे में बैठा दिया जाता है। उसकी आँखों में पट्टी और हाथों में रस्सी बँधी हुई थी। काफ़ी देर कोई आहट सुनाई नहीं देती तो, बच्चा हिम्मत करके अपने पैरों की मदद से, अपने आँख की पट्टी हटाता है और वह देखता है, कि कमरा कचरे से भरा हुआ है। ऐसा लगता है। यह कोई गाड़ियों का गैराज है। तभी बच्चे की नज़र कमरे के ऊपर बनी खिड़की पर जाती है। लेकिन खिड़की बहुत ऊँचाई पर होती है। जिसकी वजह से बच्चे को बाहर का कोई नज़ारा नहीं दिख सकता। बच्चा हिम्मती था, इसलिए वह बाहर निकलने की कोई तरकीब लगाने लगता है। यहाँ जासूसी टीम उसी लोकेशन पर पहुँचती है जहाँ से बच्चे को उठाया गया होगा और काफ़ी निरीक्षण के बाद उन्हें उनका GPS ट्रैकिंग डिवाइस सड़क पर पड़ा दिख जाता है। उन्हें समझ में आ जाता है, कि बच्चा चोर गिरोह ज़रूर बच्चे को अपने साथ ले गया है। इत्तफ़ाक से जासूसी टीम भी उसी दिशा में कार से जाने लगती है। जहाँ बच्चा चोर गिरोह गए थे और यहाँ बच्चे को एक तरकीब सूझती है।
वह कमरे में रखे हुए कार की बॉडी के एक टुकड़े को धीरे से घसीटकर लाता है और खिड़की के नीचे दीवार से टिकाकर रख देता है और धीरे से दीवार का सहारा लेते हुए खिड़की तक पहुँच जाता है। जब वह बाहर झांककर देखता है, तो उसे यक़ीन नहीं होता। यह कोई गैराज नहीं बल्कि एक बहुत बड़ी बिल्डिंग थी। जिसकी उपरी मंजिल पर इस बच्चे को रखा गया था और इसी बिल्डिंग में बहुत से बच्चे अलग अलग जगह में बंद थे, जो पहले बच्चा चोर गिरोह द्वारा उठाए गए हैं। बच्चा घबराकर नीचे उतर आता है। तभी वह सोचता है, कि क्यों ना कोई वस्तु खिड़की से बाहर की तरफ़ फेकी जाए। जिससे किसी को यहाँ का पता चले और वह एक छोटा सी लोहे की कील उठाकर बाहर फेंकता है। कुछ देर बाद एक कील और उठाकर फेंकता है, और वह ऐसा लगातार करता रहता है। तभी नीचे जा रहे होते एक आदमी के सर में छोटा सा लोहे का नट लगता है और उसके सिर से खून निकलने लगता है। वह पब्लिक को इकट्ठा करता है और कहता है, ऊपर से किसी ने उसे लोहे का टुकड़ा मारा है और जब भीड़ इकट्ठी होती है |
तो उन्हें भी यह पता चलता है क्योंकि नीचे बहुत से लोहे के टुकड़े बिखरे हुए थे और काफ़ी देर तक भीड़ ऊपर की तरफ़ देखने लगती है। तभी उसी खिड़की से एक टुकड़ा और नीचे गिरता है और भीड़ को पता चल जाता है, कि किस कमरे से यह हरकत की जा रही है। सारी भीड़ भागते हुए ऊपर बिल्डिंग मैं पहुच जाती है। लेकिन बच्चा चोर गिरोह, उन्हें अंदर आने नहीं देता। तभी भीड़ को कुछ अंदेशा होता है और सभी लोग भागते हुए ऊपर जाते हैं। ऊपर पहुंचते ही, उन्हें उस कमरे से वही बच्चा मिलता है और भीड़ को सारी बात पता चल जाती है। भीड़ बच्चा चोर गिरोह को अपने क़ब्ज़े में ले लेती है और बात फैलते ही जासूसी टीम भी, वहाँ पहुँच जाती है। इस बच्चे की समझदारी से जासूसी टीम ने बच्चा चोर गिरोह को गिरफ़्तार करवा लिया था। सभी लोगों ने उस बच्चे की अकलमंदी की बहुत तारीफ़ की और जुर्म की दुनिया का यह अध्याय समाप्त हो गया।
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रिटायर्ड पुलिस ऑफिसर | prerak kahani | प्रेरक कहानी