रिटायर्ड पुलिस ऑफिसर | prerak kahani | प्रेरक कहानी

रिटायर्ड पुलिस ऑफिसर | prerak kahani | प्रेरक कहानी:

ये कहानी एक रिटायर्ड पुलिस ऑफिसर की है, जो की स्पेशल इंटेलिजेंस ब्यूरो मैं नौकरी किया करते थे | लेकिन नौकरी समाप्ति के बाद, वह अपने परिवार के साथ अपने गाँव आकर रहने लगे थे | गाँव में ही उनकी थोड़ी बहुत खेती योग्य ज़मीन थी, जिसमें वह खेती करने में व्यस्त रहते थे | खेती के साथ साथ वह राजनीतिक जीवन में भी थोड़ी रुचि रखते थे और गाँव में होने वाली राजनीति से जुड़ी सभाओं में हमेशा हिस्सा लिया करते थे | लेकिन वह किसी दल विशेष के लिए नहीं, केवल अपने गाँव की ख़ुशहाली के लिए, आवाज़ उठाते थे | एक दिन राज्य के मंत्री का दौरा इसी गाँव में निर्धारित किया जाता है और तय प्रोग्राम के आधार पर, गाँव की सुरक्षात्मक जाँच की जाती है | सारे रास्तों की जाँच पूरी होने पर मंत्री जी का क़ाफ़िला, गाँव में बने पंचायत भवन के पास आकर रुकता है | गाँव के सभी लोग मंत्री जी का हार्दिक स्वागत करते हैं | दरअसल मंत्री जी ने, पिछले कुछ वर्षों में गाँव की ख़ुशहाली के लिए बहुत से अच्छे कार्य किये थे | इसी वजह से उन्हें गाँव मैं इतना सम्मान मिल रहा था | वह सभी के लोकप्रिय नेता बन चुके थे | इस बात से उनके कई विरोधी दल उनके प्रति ईर्ष्या का भाव रखते थे | कार्यक्रम के आरंभ में, मंच पर मंत्री जी को आमंत्रित करने के लिए, वही रिटायर्ड पुलिस ऑफ़िसर आते हैं | गाँव के सभी लोग ज़ोर ज़ोर से तालियाँ बजा रहे होते हैं |

prerak kahani
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सभी बहुत ख़ुश होते हैं, कि नेताजी आज कोई बहुत बड़ा ऐलान करेंगे, जिससे गाँव का विकास और बढ़ेगा | तभी मंच पर नेताजी को आमंत्रित किया जाता है और वह अपना भाषण प्रारंभ करते हैं | सभी गाँव वाले उनके भाषण पर तालियाँ बजा रहे होते हैं | उन्हीं गाँव के लोगों के बीच एक व्यक्ति मौजूद होता है, जो बिना प्रतिक्रिया दिए हुए, शांत खड़ा हुआ, केवल मंत्री जी को देख रहा था | तभी रिटायर्ड पुलिस ऑफ़िसर की नज़र, उस पर पड़ती है | उन्हें कुछ संदेह होता है और तभी अचानक वह व्यक्ति, अपने जेब से बंदूक निकालकर मंत्री जी की ओर तान देता है | आनन फ़ानन में रिटायर्ड पुलिस ऑफ़िसर मंत्री जी के सामने आ जाते हैं और वह आदमी गोली चला देता है | गोली रिटायर्ड पुलिस ऑफ़िसर के सर को स्पर्श करते हुए मंत्री जी के सीने में जाके लग जाती है और वही उनकी हत्या हो जाती है | गांव के सभी लोगो में भागा दौड़ी मच जाती है | हड़बड़ी में किसी को पता नहीं चलता, कि गोली किसने चलायी और जिन्होंने यह सब देखा है, वह ऑफ़िसर मूर्छित होकर मंच में गिर जाते हैं | मंत्री जी और अधिकारी को सिक्योरिटी के साथ अस्पताल लाया जाता है और कुछ देर के इलाज के बाद, सभी लोग डॉक्टर से पूछते हैं, कि साहब कैसे हैं | लेकिन डॉक्टर पुलिस अधिकारी की हालत के लिए कुछ जवाब नहीं दे पाते | 24 घंटे होने के बाद भी उन्हें होश नहीं आता | अगले ही दिन, डॉक्टर अपनी रिपोर्ट में यह बताते हैं, कि सर के इतने क़रीब से गोली जाने पर उनके सर की नस फट गई है, जिसकी वजह से वह कोमा में चले गए हैं और कुछ कह नहीं सकते, कि कब तक कोमा से बाहर आएंगे | मामला उच्च स्तरीय होता है | अस्पताल में गाड़ियों की लाइन लग जाती है और पब्लिक का हुजूम उमड़ पड़ता है |

रिटायर्ड पुलिस ऑफिसर
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हालात बिगड़ते देख, प्रशासन को सख़्ती बरतनी पड़ती है और भीड़ को शांत किया जाता है | तभी राज्य के मुख्यमंत्री का दौरा, उसी अस्पताल में होता है | मुख्यमंत्री भी, अपने मंत्रिमंडल के इतने होनहार मंत्री के जाने से बहुत दुखी होते हैं और आते ही ड्यूटी पर तैनात सभी अधिकारियों को सख़्ती से पूछते हैं, “तुम लोग क्या कर रहे थे | कैसी सुरक्षा है, तुम लोगों की | अब मैं जनता को क्या जवाब दूँ” लेकिन अधिकारियों के पास इसका कोई जवाब नहीं होता, क्योंकि हत्यारे का चेहरा केवल रिटायर्ड पुलिस ऑफ़िसर ने देखा था और वह कोमा में जा चुके थे | मंत्री जी के अंतिम संस्कार के बाद मुख्यमंत्री, पूरे राज्य में सुरक्षा बढ़ा देते हैं और राज्य की पुलिस मुस्तैदी के साथ, मंत्री जी के हत्यारे का पता लगा रही होती है और यहाँ दूसरी ओर रिटायर्ड पुलिस अधिकारी, अभी भी उसी हालत में होते हैं | रात में अस्पताल के अंदर घुसकर, रिटायर्ड पुलिस अधिकारी को, मारने का प्रयास किया जाता है और यह बात तब चलती है, जब रात में नर्स ड्यूटी के दौरान उनके कमरे में जाती है और उनके मुँह से ऑक्सीजन पाइप हटा दिया गया होता है | रिटायर्ड अधिकारी की हालत और भी नाज़ुक हो चुकी थी | लेकिन नर्स की वजह से वह दोबारा बचा लिए जाते हैं और यह बात जैसे ही कुछ लोगों को पता चलती है, तो अस्पताल की सुरक्षा और बढ़ायी जाती है | मुख्यमंत्री अस्पताल में आकर डॉक्टरों के साथ मुलाक़ात करते हैं और कमरे में रिटायर्ड पुलिस अधिकारी की हालात पर, चर्चा करते हुए डॉक्टर को कुछ हिदायत देते हैं और कमरे से बाहर आ जाते हैं और उसी दिन रात को फिर कोई उस कमरे में घुसकर उन्हें मारने का प्रयास कर रहा होता है | लेकिन अचानक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी उसका हाथ पकड़ लेते हैं और यह कोई और नहीं वही डॉक्टर होता है, जो उनका इलाज कर रहा था | रिटायर्ड पुलिस अधिकारी ज़ोर से आवाज़ लगाकर, सुरक्षा में तैनात जवानों को बुलाते हैं और डॉक्टर को गिरफ़्तार करवा देते हैं | जैसे ही, मीडिया को यह बात पता चलती है तो वह रिटायर्ड अधिकारी का इंटरव्यू लेने पहुँच जाते हैं | इंटरव्यू के दौरान, अधिकारी सभी के सामने उस हत्यारे का नाम बताते हैं, जिसने इस साज़िश को अंजाम दिया |

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दरअसल यह कोई और नहीं बल्कि उसी राज्य के मुख्यमंत्री की साज़िश थी, जो कि अपनी कुर्सी बचाने के लिए, अपने ही मंत्री की हत्या करवा देते हैं और डॉक्टर के बयान से यह बात साबित भी हो जाती है | लेकिन मीडिया को यह बात नहीं समझ आ रही थी, कि कोमा में रहने के बाद भी रिटायर्ड पुलिस अधिकारी ने कैसे डॉक्टर को रंगे हाथ पकड़ लिया | तभी रिटायर्ड पुलिस अधिकारी बताते हैं, “मुझे तीन दिन पहले ही होश आ चुका था, लेकिन मैं कोमा में रहने का नाटक कर रहा था | दरअसल मुझे यह बात उस समय पता चल गई थी, जब रात को मेरा ऑक्सीजन पाइप निकाला गया था, क्योंकि इतनी सुरक्षा होने के बावजूद भी किसी को अंदर आने की इजाज़त कैसे मिल सकती थी | मुझे श़क हुआ, कि यह ज़रूर यहाँ मौजूद लोगों की ही साज़िश है और जब मुख्यमंत्री मेरे कमरे में डॉक्टर से बात कर रहे थे, उसी समय मुझे उनके षडयंत्र का पता चल चुका था और लेकिन मैं उन्हें सबूतों के साथ पकड़वाना चाहता था” | मीडिया के सभी लोग यह बात जान कर तालियां बजाने लगते हैं और रिटायर्ड पुलिस ऑफ़िसर की बहादुरी और अक्लमंदी के लिए उन्हें शाबासी देते हैं, क्योंकि इनकी समझदारी ने राज्य को एक भ्रष्ट शासन देने से बचा लिया था | इतने बड़े काम को करने की वजह से रिटायर्ड पुलिस अधिकारी को सेवा समाप्ति के बाद भी, बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है और एक साज़िश भरी कहानी का अंत हो जाता है |

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